हर साल नीट एग्जाम के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। जहां एक तरफ इस बढ़ती संख्या ने कॉम्पिटीशन को मुश्किल बनाया है, वहीं इस साल टॉपर्स के सौ प्रतिशत अंकों ने इस मुकाबले को और कठिन बना दिया है। ऐसे में यदि आप नीट परीक्षा दिए बिना मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए ऑपशंस की कमी नहीं है।
आज हम आपको मेडिकल क्षेत्र के ऐसे कई करियर विकल्पों के बारे में बता रहे हैं जिसके लिए नीट क्वालिफाई करने की जरूरत नहीं है…
बैचलर्स ऑफ वेटरनरी साइंसेज एंड एनिमल हसबेंडरी
ये कोर्सेज पालतू व जंगली जानवरों की बीमारियों और उनके इलाज के बारे में हैं। BVSc और AH कोर्सेज पांच साल की अवधि के होते हैं। इसमें इंटर्नशिप प्रोग्राम भी जरूरी होता है। अगर कोई अभ्यर्थी एनिमल हसबेंडरी की पढ़ाई नहीं करना चाहता तो सिर्फ BVSc कर सकता है जो तीन साल का कोर्स होता है।
बैचलर्स ऑफ फार्मेसी (B.Pharm)
साइंस स्ट्रीम के जो स्टूडेंट्स मेडिकल कोर्स करना चाहते हैं उनके लिए बीफार्मा एक अच्छा विकल्प है। इस क्षेत्र में दो साल का डिप्लोमा या चार साल के डिग्री कोर्सेज किए जा सकते हैं। बीफार्मा के बाद स्टूडेंट्स को अस्पतालों और सरकारी संस्थानों में इन-हाउस फार्मासिस्ट / केमिस्ट के तौर पर काम करने का मौका मिलता है। आप खुद अपनी कंसल्टेंसी या स्टोर भी चला सकते हैं। निजी और सरकारी क्षेत्रों की कंपनियों में रिसर्च, मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने का अवसर भी उपलब्ध है।
माइक्रोबायोलॉजी
यह माइक्रोस्कोपिक जंतुओं जैसे बैक्टीरिया, वायरस, पर्यावरण में मानव, जानवर, पेड़-पौधों व अन्य जंतुओं की स्टडी होती है। माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स के रिसर्च हमें बताते हैं कि अलग-अलग माइक्रोऑर्गेनिज्म किस तरह हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इसके अंतर्गत वायरोलॉजी, बैक्टीरियोलॉजी, पारासाइटोलॉजी, माइकोलॉजी जैसे सब-फील्ड की भी पढ़ाई की जा सकती है। इसके जरिए क्लिनिकल रिसर्चर, रिसर्च साइंटिस्ट, लैब टेक्नीशियन, क्लाविटी कंट्रोल, फार्मास्यूटिकल्स, फूड इंडस्ट्री, हेल्थ सेक्टर, ब्रिवरीज, डिस्टिलरीज, एग्रीकल्चर जैसे कई क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं।
फिजियोलॉजी
यह शरीर की गतिविधियों, क्रियाकलापों व मेकेनिज्म की पढ़ाई है। इसके अंतर्गत ऑर्गन्स, एनाटॉमी, सेल्स, बायोलॉजिकल कंपाउंड्स, मसल्स व अन्य की टॉपिक्स की पढ़ाई करनी होती है। ह्यूमन फीजियोलॉजी के अलावा आप प्लांट फीजियोलॉजी, सेल्युलर फीजियोलॉजी, माइक्रोबायल फीजियोलॉजी जैसे ब्रांच की भी पढ़ाई कर सकते हैं। इसके बाद क्लिनिकल एक्सरसाइज फिजियोलॉजिस्ट, बायोमेडिकल साइंटिस्ट, फीजियोथेरेपिस्ट, स्पोर्ट्स फीजियोथेरेपिस्ट, रिसर्चर, प्रोफेसर के पदों पर काम करने का मौका मिलता है।
रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट –
इनका काम है उन मरीजों की देखबाल करना जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो या पल्मोनरी सिस्टम संबंधी परेशानी हो। रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट्स आईसीयू, इमरजेंसी केयर, न्यूबॉर्न यूनिट्स जैसे विभागों में काम करते हैं। पीसीबी से 12वीं कक्षा पास करने के बाद इस कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
अन्य कुछ कोर्सेस –
बायोकेमिस्ट्री
जेनेटिक्स
बायोइनफॉर्मेटिक्स
मरीन बायोलॉजी
बायोमेडिकल साइंसेज
अलायड मेडिसिन्स